Nidhi Saxena

Add To collaction

आंसू अंतर्मन के

विषय : आंसू 

शीर्षक ; अंतर्मन के आंसू
रूप ; कविता 

अंतर्मन में आंसू बहुत है , लेकिन बाहर आने से डरते है 
किसी को नही बताना दिल में दर्द कितना है 
क्योंकि यही तो बस अपना है 
खुशी भी अपनी ना हुई 
ये ज़माने को क्या दोष दें 
यहां तो खुशी भी अपनी नही है ।

अंतर्मन अकेले रहने को करता है , लेकिन अकेले में डरता भी है
बाहर भीड़ बहुत है , इस भीड़ में मै डरती बहुत हूं 
ना जाने कौन कैसे वार कर जाए 
बाहर सब घेरे रहते है 
उस घेरे से डरती हूं 
यहां कोई नही अपना , बस दर्द अपना लगता है 

अंतर्मन बहुत कुछ कहता है , अकेले में रोने को मन करता है 
घर में कोई कमरा कोई कोना ढूंढता है 
कहीं ,किसी कौने में एक तकिया ढूंढता है 
उस तकिए में अपने आंसू छुपाने को मन करता है 

अंतर्मन अंदर अंदर ही आंसू बहाता है अंतर्मन।।
     नीर( निधि सक्सैना ✍️)


   8
3 Comments

Sachin dev

19-Dec-2022 01:49 PM

Well done

Reply

Rajeev kumar jha

19-Dec-2022 08:37 AM

शानदार

Reply

Abhilasha deshpande

18-Dec-2022 09:02 PM

Wow

Reply