आंसू अंतर्मन के
विषय : आंसू
शीर्षक ; अंतर्मन के आंसू
रूप ; कविता
अंतर्मन में आंसू बहुत है , लेकिन बाहर आने से डरते है
किसी को नही बताना दिल में दर्द कितना है
क्योंकि यही तो बस अपना है
खुशी भी अपनी ना हुई
ये ज़माने को क्या दोष दें
यहां तो खुशी भी अपनी नही है ।
अंतर्मन अकेले रहने को करता है , लेकिन अकेले में डरता भी है
बाहर भीड़ बहुत है , इस भीड़ में मै डरती बहुत हूं
ना जाने कौन कैसे वार कर जाए
बाहर सब घेरे रहते है
उस घेरे से डरती हूं
यहां कोई नही अपना , बस दर्द अपना लगता है
अंतर्मन बहुत कुछ कहता है , अकेले में रोने को मन करता है
घर में कोई कमरा कोई कोना ढूंढता है
कहीं ,किसी कौने में एक तकिया ढूंढता है
उस तकिए में अपने आंसू छुपाने को मन करता है
अंतर्मन अंदर अंदर ही आंसू बहाता है अंतर्मन।।
नीर( निधि सक्सैना ✍️)
Sachin dev
19-Dec-2022 01:49 PM
Well done
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Rajeev kumar jha
19-Dec-2022 08:37 AM
शानदार
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Abhilasha deshpande
18-Dec-2022 09:02 PM
Wow
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